#दाग अच्छे है
दाग पर ना जा
दाग है तभी हम सच्चे है
दाग बहुत अच्छे है
सफ़ेद कुर्ती पर लगा दाग
क्यों आंखों को नहीं भाता
इस दाग से ही तो
रचता संसार सारा
क्यों शराब खुले में
पैड काली पन्नी
में लाए जाते
उन पांच दिनों की कीमत
क्यों लोग समझ ना पाते
रचा ब्रह्मांड उन दागों से ही
फिर क्यों उन पांच दिनों की
कोई बात नहीं करता
उन दिनों के दर्द को
कोई नहीं समझता
क्यों छुपा छुपा कर
क्यों बचा बचा कर
इस तस्वीर में रंग भरते है
क्यों नहीं कहते
ये दाग बहुत ही अच्छे है
स्वरचित
-नीलम गुप्ता
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 22 अक्टूबर अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteउन पांच दिनों की कीमत
ReplyDeleteक्यों लोग समझ ना पाते
सही...
वाह
ReplyDeleteवाह बेहतरीन 👌
ReplyDeleteसटीक प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
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