Thursday, January 18, 2018

सवाल बेशुमार लिये बैठें हैं.....कुसुम कोठारी

जो फूलों सी जिंदगी जीते कांटे हजार लिये बैठे हैं
दिल मे फरेब और होटो पे झूठी मुस्कान लिये बैठे हैं। 

खुला आसमां ऊपर,ख्वाबों के महल लिये बैठें हैं
कुछ, टूटते अरमानो का ताजमहल लिये बैठें हैं। 

सफेद दामन वाले भी दिल दागदार लिये बैठे हैं
क्या लें दर्द किसी का कोई अपने हजार लिये बैठें हैं। 

हंसते हुए चहरे वाले दिल लहुलुहान लिये बैठे हैं
एक भी जवाब नही, सवाल बेशुमार लिये बैठें हैं। 

टूटी कश्ती वाले हौसलों की पतवार लिये बैठे हैं
डूबने से डरने वाले साहिल पर नाव लिये बैठे हैं।
-कुसुम कोठारी


7 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १९जनवरी २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. सफेद दामन में दागदार दिल
    वाह!!!
    जितनी बार पढा उतनी बार वाह निकला सो यहाँ भी....
    बहुत ही शानदार प्रस्तुति कुसुम जी !!!

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  3. टूटी कश्ती वाले हौसलों की पतवार लिये बैठे हैं
    डूबने से डरने वाले साहिल पर नाव लिये बैठे हैं..
    विशेष पंक्तियाँ रचना की। सुंदर रचना ।

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  4. वाह ! क्या कहने हैं ! लाजवाब प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।

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  5. वाह क्या कहने
    बहुत सुंदर
    बधाई

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