Wednesday, January 17, 2018

इन शब्दों ने हमें असहाय किया....निधि सक्सेना


कितना अच्छा होता अगर शब्द न होते
शब्दकोश न होते
उनके निहित अर्थ न होते!!

भावनाओं के पैरहन मात्र हैं शब्द
केवल ध्वनियाँ हैं
शोर हैं
जो दूसरे के ध्यान के आधीन है
उनकी समझ पर आश्रित हैं!!

हम जितना अपने भावों को शब्दों में लपेट पाते हैं
सामने वाला केवल उतना ही समझ पाता है!

इन शब्दों ने हमें असहाय किया
कि हम अबोला पढ़ सकें
मौन सुन सकें
मन के उद्गारों को महसूस कर सकें!

जैसे नेत्रहीन विकसित कर लेता है 
हाथों का स्पर्श और आहटें देखना
और देख पाता है बिना देखे!!
बधिर विकसित कर लेता है 
अधरों के कंपन
और आँखो के उद्बोधन सुनना
और सुन पाता है बग़ैर सुने
वैसे ही बगैर शब्द 
निसंदेह हम भी 
अधिक सक्षम होते!!
विकसित कर ही लेते
मन का पढ़ना
मौन समझना!!

~निधि सक्सेना

5 comments:

  1. अतुल्य
    शब्द हीन एक जीवन होता
    आंखे पढलें वो दर्शन होता।
    बहुत खूबसूरत ख्याल।

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18-01-2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2852 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  3. वाह! बहुत सुन्दर।

    "...
    ...
    वैसे ही बगैर शब्द
    निसंदेह हम भी
    अधिक सक्षम होते!!
    विकसित कर ही लेते
    मन का पढ़ना
    मौन समझना!!"

    काश ऐसा होता
    बहुत बढिया होता।

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  4. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन सड़क दुर्घटनाओं से सब रहें सुरक्षित : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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