Tuesday, April 25, 2017

बहुत दिन हो गए!....एमएल मोदी (नाना)










जब करते थे यारों के बीच ठिठौली
वो वक्त गुजरे बहुत दिन हो गए!

किसी अपने को तलाश करते हुए,
एक अनजान शहर में आए-
बहुत दिन हो गए!  

न मंजिल का पता है और न ही रास्ते की खबर,
फिर भी अनजानी राह पर चलते हुए-
बहुत दिन हो गए!

भीड़ तो बहुत देखी हमने इस जमाने में,
मगर इस भीड़ में कोई अपना देखे-
बहुत दिन हो गए!  

जब मिलेगा कहीं वो हमें तो,
पूछेंगे यार कहां थे तुमसे मिले-
बहुत दिन हो गए!  

और जो करते थे साथ निभाने की बातें,
उनसे बिछड़े 'नाना' को बहुत दिन हो गए!! 
-एमएल मोदी (नाना)  

4 comments:

  1. वाह ! ऐसी रचना पढ़े बहुत दिन हो गए। सुन्दर !रचना ,आभार। 'एकलव्य'

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  2. वाह ! बहुत सुंदर रचना ! बहुत खूब

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