Monday, December 5, 2016

ये लोग पागल हो गए हैं..... नासिर काज़मी


तेरे से मिलने को बेकल हो गए
मगर ये लोग पागल हो गए हैं 

बहारें ले के आए थे जहां तुम 
वो घर सुनसान जंगल हो गए हैं 

यहां तक बढ़ गए आलाम-ए-हस्ती 
कि दिल के हौसले शल हो गए  

कहाँ तक ताब लाए नातवां दिल
कि सदमे अब मुसलसल हो गए हैं

उन्हें सदियों न भूलेगा ज़माना
यहां जो हादिसे कल हो गए हैं, 

जिन्हें हम देख कर जीते थे 'नासिर' 
वो लोग आँखों से ओझल हो गए हैं 

-नासिर काज़मी

2 comments:

  1. Replies
    1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (06-12-2016) को "देश बदल रहा है..." (चर्चा अंक-2548) पर भी होगी।
      --
      चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
      जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
      हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
      सादर...!
      डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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