बहुत तन्हा हूँ मैं ये वक्त कह गया हमसे।
पाल बैठा बड़ी उम्मीद बेवफा तुमसे ।।
दोस्ती आज बे नकाब मेरी महफ़िल में ।
दीदार फिर से वो मेरा करा गया गम से ।।
फ़िक्र जिस जिस की मैं दिन रात किया करता था।
वही खंजर यहां मुझपर चला गया दम से ।।
मेरे नीलाम की बोली में वह भी हाजिर था ।
मेरी औकात की कीमत लगा गया कम से ।।
-नवीन त्रिपाठी
उर्दू शायरी बज़्म
मेरे नीलाम की बोली में वह भी हाजिर था ।
ReplyDeleteमेरी औकात की कीमत लगा गया कम से ।।
उम्दा.........
आदर्नीया यशोदा जी मेरी ग़ज़ल तक आप पहुच गयीं इसके लिए हार्दिक आभार ।
ReplyDeleteआप से जुड़ना एक शुखद अनुभूति है ।
आदर्नीया यशोदा जी मेरी ग़ज़ल तक आप पहुच गयीं इसके लिए हार्दिक आभार ।
ReplyDeleteआप से जुड़ना एक शुखद अनुभूति है ।
आदर्नीया यशोदा जी मेरी ग़ज़ल तक आप पहुच गयीं इसके लिए हार्दिक आभार ।
ReplyDeleteआप से जुड़ना एक शुखद अनुभूति है ।
बहुत सुन्दर
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