Monday, October 30, 2017

आज की रात किधर जाएंगे.........नवीन मणि त्रिपाठी

2122 1122 22
चाँद बनकर वो निखर जाएंगे ।
शाम होते ही सँवर जाएंगे ।।

मुझको मालूम है फ़ितरत उनकी ।
हैं जिधर आप उधर जाएंगे ।।

जख्म परदे में ही रखना अच्छा ।
देखकर लोग सिहर जाएंगे ।।

छेड़िये मत वो कहानी मेरी ।
दर्द मेरे भी उभर जाएंगे ।।

घूर कर देख रहे हैं क्या अब ।
आप नजरों से उतर जाएंगे।।

वक्त रुकता नहीं है दुनिया में ।
दिन हमारे भी सुधर जाएंगे ।।

क्या पता था कि जुदा होते ही ।
इस तरह आप बिखर जाएंगे ।।

ये मुहब्बत है इबादत मेरी ।
एक दिन दिल मे ठहर में जाएंगे ।।

इश्क़ पर बात अभी क्या करना ।
इश्क पर आप मुकर जाएंगे ।।

जिद मुनासिब कहाँ है पीने की ।
आप तो हद से गुजर जाएंगे ।।

बज्म में आ गए तो रुकिए भी।
आज की रात किधर जाएंगे ।।

-नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

4 comments:

  1. शुभ प्रभात..
    बेहतरीन ग़ज़ल..
    सादर...

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  2. वाह!!!!
    लाजवाब प्रस्तुति....

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  3. तहेदिल से बहुत शुक्रिया

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