Saturday, October 7, 2017

प्यार का मतलब .....चंचलिका शर्मा



तुम कहते हो 
मैं जिद्दी हूँ 
और थोड़ी सी 
हूँ मनचली ... 
हाँ , मैं हूँ 
स्वीकार है मुझे 
मैं जिद्दी हूँ 
थोड़ी सी मनचली भी ........ 
जब भी माँगा , 
जो कुछ भी माँगा 
सब कुछ प्यार से 
दिया तुमने ...... 
चांद , सितारे गर 
माँग भी लेती 
शायद लेकर आते 
जी जान लगाकर भी ......... 
इतना प्यार 
क्यों लुटाते हो 
प्यार का मतलब 
क्या जानते भी हो ?.. 
प्यार आवारगी नहीं 
न सिर्फ़ है दीवानगी 
प्यार बंदगी भी है 
और है इबादत भी ......... 
चलो न , आज 
अभी , इसी वक्त 
हम , तुम कर लेते 
हैं एक वादा .... 
गर कभी साथ छूटे तो 
बनकर रहना कृष्ण मेरे 
राधा बन सताऊंगी नहीं 
बन सकती हूँ जोगन मीरा भी ....
-चंचलिका शर्मा

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