2122 1122 22
चाँद बनकर वो निखर जाएंगे ।
शाम होते ही सँवर जाएंगे ।।
मुझको मालूम है फ़ितरत उनकी ।
हैं जिधर आप उधर जाएंगे ।।
जख्म परदे में ही रखना अच्छा ।
देखकर लोग सिहर जाएंगे ।।
छेड़िये मत वो कहानी मेरी ।
दर्द मेरे भी उभर जाएंगे ।।
घूर कर देख रहे हैं क्या अब ।
आप नजरों से उतर जाएंगे।।
वक्त रुकता नहीं है दुनिया में ।
दिन हमारे भी सुधर जाएंगे ।।
क्या पता था कि जुदा होते ही ।
इस तरह आप बिखर जाएंगे ।।
ये मुहब्बत है इबादत मेरी ।
एक दिन दिल मे ठहर में जाएंगे ।।
इश्क़ पर बात अभी क्या करना ।
इश्क पर आप मुकर जाएंगे ।।
जिद मुनासिब कहाँ है पीने की ।
आप तो हद से गुजर जाएंगे ।।
बज्म में आ गए तो रुकिए भी।
आज की रात किधर जाएंगे ।।
-नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
शुभ प्रभात..
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल..
सादर...
उम्दा
ReplyDeleteवाह!!!!
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुति....
तहेदिल से बहुत शुक्रिया
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