पुराने हो जाते हैं
एक दिन
कागज, कलम, दवात, स्याही
पुराना हो जाता है कवि,
एक दिन सारी पुस्तकें
सारे पाठक हो जाते हैं
एक न एक दिन पुराने
हो जाते हैं एक दिन
मुद्रक, प्रकाशक, वितरक,
आलोचक सबके सब पुराने
आख़िर एक दिन
समय भी हो जाता पुराना
दुख चाहे हो कितना भी नया
कविता कभी होती नहीं पुरानी
-जयप्रकाश मानस
वर्तमान में आदरणीय जयप्रकाश जी मानस
छत्तीसगढ़ शासन में वरिष्ठ अधिकारी हैं
srijangatha@gmail.com
वेबसाईट – www.srijangatha.com
सुन्दर।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज मंगलवार (07-03-2017) को
ReplyDelete"आई बसन्त-बहार" (चर्चा अंक-2602)
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'