Friday, March 17, 2017

दुनिया बदली खुद भी बदलो.........सुखमंगल सिंह



हृदय द्वार बंद हों खोलो,
प्रेम सरोवर दुबकी ले लो।
घिरे प्रलय की घोर घटाएं,
शान्ति दीप निज धरा सजा दो।

लोकहित में हठता हृद छोडो,
बदले समाज निजता तोड़ो।
चादर मैली शुद्धिकरण करा लो,
दुनिया बदली खुद भी बदलो।

भरा पिटारा सौगातों का,
बंद अमृतघट 'मंगल' खोलो।
सडांध से भरा जो कुनबा,
सरयू में आ कर मुख धो लो।।

-सुखमंगल सिंह

8 comments:

  1. Replies
    1. सुशील कुमार जोशी जी हृदय से आभार

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  2. सुन्दर रचना

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  3. आभार !Meena Bhardwaj ji

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  4. सादर अभिनंदन शास्त्री जी

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  5. सु-मन सुमन कपूर जी आभार

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