Thursday, March 30, 2017

टूटी है वो टुकड़ों-टुकड़ों में....आकांक्षा यादव

Akanksha Yadav : आकांक्षा यादव
न जाने कितनी बार
टूटी है वो टुकड़ों-टुकड़ों में
हर किसी को देखती
याचना की निगाहों से
एक बार तो हाँ कहकर देखो
कोई कोर कसर नहीं रखूँगी
तुम्हारी जिन्दगी संवारने में
पर सब बेकार
कोई उसके रंग को निहारता
तो कोई लम्बाई मापता
कोई उसे चलकर दिखाने को कहता
कोई साड़ी और सूट पहनकर बुलाता
पर कोई नहीं देखता
उसकी आँखों में
जहाँ प्यार है, अनुराग है
लज्जा है, विश्वास है।
-आकांक्षा यादव

ई-मेल:  akankshay1982@gmail.com  
ब्लॉगः http://shabdshikhar.blogspot.in/

1 comment: