एकमुश्त ले लेना....निधि सक्सेना
जब भी विदा लेना
एकमुश्त ले लेना!!
किश्तों में विदा
तुम्हारे ठहर जाने की.
बेवजह उम्मीद जगाती है!!
जब भी विदा लेना
मुड़ कर न देखना
कि गुरुर के मोती
बेबस आँखों से
कहीं झर न जायें!!
जब भी विदा लेना
वक्त का लिबास पहन कर आना
कि तुम्हारे लौट आने की आस का
फिर बेसबब इंतज़ार न रहे!!
- निधि सक्सेना
सुन्दर।
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