हम
करेंगे मुकाबला
बुरे दिनों का
ताकि,
अच्छे दिनों कि
छांव में मुस्करा सकें
बुरे दिनों की पराजय पर!
हम
चढ़ेंगे दुर्गम चढ़ाइयाँ
और तलाश ही लेंगे जगह
पताका के लिए
ताकि,
हो सके तय
कि राजा हो या पहाड़
कद इरादों का
सबसे बड़ा होता है!
हम
भयावह दिनों में
भरोसे की तरह उतरेंगे दिलों में
और तलाश ही लेंगे सुरंग रोशनी की
ताकि,
अच्छे दिनों की छाँव में
सुना सकें बच्चों को
बुरे दिनों की
पराजय की कहानी!!
-सुरेश शर्मा
सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (05-03-2017) को
ReplyDelete"खिलते हैं फूल रेगिस्तान में" (चर्चा अंक-2602)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत बढ़िया
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