Sunday, February 26, 2017

ख्वाब है दीवाने का....फानी बदायूनी

न इब्तिदा की खबर है, न इंतेहा मालूम
रहा ये वहम कि हम हैं, सो ये भी क्या मालूम!

हर नफ़्स, उम्र-ए-गुज़िश्ता की है मैयत फानी
ज़िन्दगी नाम है मर मर के जिए जाने का

मौत आने तक न आये, अब जो आए हो तो हाय
ज़िन्दगी मुश्किल ही थी, मरना भी मुश्किल हो गया

दिल-ए-मरहूम को खुदा बख्शे
एक ही ग़म-गुसार था, न रहा

एक मोअम्मा है, समझने का न समझाने का
ज़िन्दगी काहे को है ख्वाब है दीवाने का
-फानी बदायूनी 

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