हाँ
मैं प्रवासी हूँ
शायद इसी लिए
जानता हूँ
कि मेरे देश की
माटी में
उगते हैं रिश्ते
*
बढ़ते हैं
प्यार की धूप में
जिन्हें बाँध कर
हम साथ ले जाते हैं
धरोहर की तरह
और पोसते हैं उनको
कलेजे से लगाकर
*
क्योंकि घर के बाहर
हमें धन, वैभव,
यश और सम्मान
सब मिलता है,
नहीं मिलती तो
रिश्तों की
वो गुड़ सी मिठास
जो अनगढ़ भले ही हो
लेकिन होती
बहुत अनमोल है
*
हाँ मैं प्रवासी हूँ
-मंजू मिश्रा
लाजवाब।बेहतरीन......
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