नित नयी नाराज़गी अच्छी नहीं
प्यार में रस्साकसी अच्छी नहीं
दिल्लगी जिंदादिलों से कीजिये
दिलजलों से दिल्लगी अच्छी नहीं
एक रब हैऔर हैं मजहब कई
बात दुनिया में यही अच्छी नहीं
ज़िन्दगी है,ज़िन्दगी में दोस्तो
हर घड़ी संजीदगी अच्छी नहीं
`प्राण` मिलते हैं कहाँ ये रोज़-रोज़
दोस्तों से दुश्मनी अच्छी नहीं
-प्राण शर्मा
सुन्दर।
ReplyDeleteप्राण शर्मा जी सुन्दर गजल प्रस्तुति हेतु धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।वाह!!!
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