Saturday, February 11, 2017

वो चूल्हा.............शबनम शर्मा










घर में दूध की ज़रूरत 
रात का समय 
सोचा घूम भी आऊँ
व जुम्मन काका के 
घर से ले आऊँ लोटा भर दूध, 

पहुँची वहाँ, खटखटाया बाहर 
का दरवाज़ा, 
छोटी बालिका ने खोला, 
लिवा गई मुझे अन्दर 
बड़े से आँगन में,
देख मुझे जुम्मन काका खड़े हुए 
कारण पूछ आने का, कर 
इशारा बेगम को मेरे पास 
बैठ गये 

हैरान थी मैं देख, 
सब बैठे थे चूल्हे के इर्द-गिर्द,
बच्चे चबा रहे थे दाने, 
भून रहे थे आलू, 
बुजुर्ग सेंक रहे थे आग, 
पर सब ख़ुश,
बतिया रहे थे, 
कि इक ख़्याल ने मुझे 
झकझोर दिया, 

कितनी ताक़त है इस 
चूल्हे में,
इसने जोड़ा है मुन्नी 
से दादा तक इक ही 
डोर में सबको।
-शबनम शर्मा
shabnamsharma2006@yahoo.co.in

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