Thursday, February 16, 2017

मग़रूर तेरी राहें.....मनजीत कौर


मग़रूर तेरी राहें
किस तौर फिर निबाहें

मशगूल तुम हुए हो
महरूम मेरी चाहें

तुम पास गर जो होते
महफूज़ थीं फ़िज़ाएँ

किससे गिला करें अब
मायूस मेरी आहें

बदली है चाह इनमें
मख़्मूर जो निगाहें

तुम जो जुदा हुए हो
महदूद मेरी राहें

टूटा हुआ ये दिल है
तस्की इसे दिलाएँ।

-मनजीत कौर

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