चारगाह में घोडों के लिये घास नहीं,
लेकिन गधे ज़ाफ़रान में कूद रहे है
कैसे कैसे दोस्त हैं कैसे कैसे धोखे
चबा रहे हैं अंगूर बता अमरूद रहे हैं
ना जाने खो गया है किस अज़ब अन्धेरे में
आंख बन्द करके तलाश अपना वज़ूद रहे हैं
उधार लिये थे चंद लम्हे पिछ्ले जनम में
अभी तक चुका उनका सूद रहे हैं
मकान बेच कर खरीदी थी तोप कोमल ने
ज़मीन बेच के खरीद उसका बारूद रहे हैं
--सिकन्दर खान
लेकिन गधे ज़ाफ़रान में कूद रहे है
कैसे कैसे दोस्त हैं कैसे कैसे धोखे
चबा रहे हैं अंगूर बता अमरूद रहे हैं
ना जाने खो गया है किस अज़ब अन्धेरे में
आंख बन्द करके तलाश अपना वज़ूद रहे हैं
उधार लिये थे चंद लम्हे पिछ्ले जनम में
अभी तक चुका उनका सूद रहे हैं
मकान बेच कर खरीदी थी तोप कोमल ने
ज़मीन बेच के खरीद उसका बारूद रहे हैं
--सिकन्दर खान
नए मुहावरे की रचना है जिसके कथ्य की परिणति इन शब्दों में बहुत अच्छी लगी-
ReplyDeleteमकान बेच कर खरीदी थी तोप कोमल ने
ज़मीन बेच के खरीद उसका बारूद रहे हैं
सिकन्दर है तो रचना भी सिकन्दर ही होगी न
Deleteआभार
लोगों के जबसे बने, गधे सधे से बाप ।
ReplyDeleteमौज कर रहे हैं गधे, घोड़े रस्ता नाप ।
घोड़े रस्ता नाप, कोयला ही है सोना ।
सारे घोड़े बेंच, पड़ा सोना मत रोना ।
रविकर मिटा वजूद, सूद का झंझट भोगो ।
बेचो खेत जमीर, खरीदो तोपें लोगों ।
भाई
Deleteआपने तो नई कविता ही लिख दी
धन्यवाद
शुक्रिया रविकर भाई
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही बढिया प्रस्तुति।
ReplyDeleteशुकराना नज़र करती हूँ दीदी
Deleteआपकी बात में सार है.
ReplyDeleteयह दिल को छू गयी है.
फैय्याज भाई
Deleteसलाम
शुक्रिया
माफी
Deleteआपका नाम गलत लिख दी
उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteधन्यवाद रविकर भाई
Deleteउधार लिये थे चंद लम्हे पिछ्ले जनम में
ReplyDeleteअभी तक चुका उनका सूद रहे हैं.....
....................
बहुत दूर तक प्रहार करती सोच
सिकंदर साहब को बधाई
शुभ प्रभात राहुल
Deleteआभार
bahut bhayi rachna ..........
ReplyDeleteशुभ प्रभात दीदी
Deleteआभार
बहुत बढ़िया प्रस्तुति शेयर करने के लिए आभार यशोदा जी
ReplyDeleteशुक्रिया आभार धन्यवाद
Deleteअशोक चक्रधर जी की एक कविता 'गधे खा रहे हैं च्वनप्रश देखो' याद आ गयी :)
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद भाई
Deleteये वही रचना है हिन्दी फोरम वाली
बहुत सुंदर
ReplyDeleteअच्छी रचना
धन्यवाद महेन्द्र भाई
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteसुन्दर शेर
ReplyDeleteआपकी बात में दम है
ReplyDeleteआजकल तो गधे ही जाफरान में कूद रहे हैं ।