आदमी वो महान है यारो,
उसकी बातों में जान है यारो।
मेघ से हमने दुश्मनी कर ली,
जबकि कच्चा मकान है यारो।
देश जंगल, शिकार जनमन है,
राजनीति मचान है यारो।
बेघरों को बंटेंगे घर कैसे,
बंद फाइल में प्लान है यारो।
रोज बोता है वो पैसों की फसल
वो गजब का किसान है यारो।
तीर तरकश में कम नहीं शाहिद,
किंतु टूटी कमान है यारो।
--शाहिद ‘समर’
वाकई समर साहब....
ReplyDeleteएकदम उम्दा......
गजल अच्छी लगी, इसके लिए आपका और और यशोदा अग्रवाल जी का तहे दिल से शुक्रिया।
Deleteशाहिद समर
आभार भाई राहुल
ReplyDeleteसुंदर !
ReplyDeleteधन्यवाद धीरेन्द्र भाई
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