आज का दौर
आज के इस दौर ने
हर शै को महंगा कर दिया,
कीमतें ऐसी बढ़ी कि
इनसां को सस्ता कर दिया.
हम तो समझे थे कि यादों
का सफर अब थम गया,
रात एक तस्वीर ने यादों को
ताजा कर दिया.
आप की शायद यह ख्वाहिश थी
कि हो मेरी शिकस्त,
लीजिये खुद को हरा कर
उन का अरमान पूरा कर दिया.
-डॉ. औरीना अब्बासी "अदा"
आज के हालत में किस किस से हम बचकर चले
ReplyDeleteप्रशं लगता है सरल पर ये बहुत गंभीर है
चाँद रुपयों की बदौलत बेचकर हर चीज को
आज हम आबाज देते की बेचना जमीर है
बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
http://madan-saxena.blogspot.in/
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धन्यवाद मदन भाई
Deleteआप की शायद यह ख्वाहिश थी
ReplyDeleteकि हो मेरी शिकस्त...
.........................
शायद... ऐसा नहीं होता
शुक्रिया राहुल
Deleteपोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब
ReplyDeleteबेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.