Sunday, September 30, 2012

नयन............दीप्ति शर्मा

वरालि सी हो चाँदनी
लज्जा की व्याकुलता हो
तेरे उभरे नयनों में ।
प्रिय विरह में व्याकुल
क्यों जल भर आये?
तेरे उभरे नयनों में ।
संचित कर हर प्रेम भाव
प्रिय मिलन की आस है
तेरे उभरे नयनों में ।
गहरी मन की वेदना
छुपी बातों की झलक दिखे
तेरे उभरे नयनों में ।
वनिता बन प्रियतम की
प्रिय के नयन समा जायें
तेरे उभरे नयनों में ।


© दीप्ति शर्मा

https://www.facebook.com/deepti09sharma

10 comments:

  1. तेरे उभरे नयनों में
    संचित कर हर प्रेम भाव
    ..................................
    बहुत खूब.... सुन्दर लगी रचना

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  2. धन्यवाद राहुल भाई

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  3. बहुत बढ़िया |

    आभार आपका ||

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    1. धन्यवाद रवि भैय्या

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  4. वराली का अर्थ ?

    सुंदर प्रस्तुति

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    1. दीदी मैं भी जानने को इच्छुक हूँ
      सही शब्द वारालि होना चाहिये था
      और वारालि का अर्थ आँखों से लेना चाहिये
      मैं कल दीप्ति बहन ले पूछूँगी

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  5. खूबसूरत शब्द रचना ....

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  6. बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही भावनामई रचना.बहुत बधाई आपको

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