क्या प्रेम है मुझसे .............नीलू शर्मा
अजनबी नहीं हूँ सनम दिल से तेरे!
बस हाले-दिल जुबां से कहा नहीं करता!!
बसी है दिल में मेरे इबादत की तरह !
बस दर पर तेरे सनम बंदगी नहीं करता !!
बसती है दिल में सनम धड़कन की तरह !
बस साँसो के संग निकला नहीं करता !!
खूबसूरत है इतनी हरदम कहा करता हूँ !
बस किसी से सनम तेरी उपमा नहीं करता !!
देखता हूँ जब तुझे सनम लगती है ग़ज़ल !
शायर हूँ मैं फिर भी तुझ पर ग़ज़ल नहीं करता !!
क्या प्रेम है मुझसे सनम बस एक सवाल तेरा !
बस बंद करता हूँ पलकों को"प्रेम"है कहा नहीं करता !!
--नीलू शर्मा
अलग अंदाज़ में कही गई गजल है .हर अश आर एक अंडर टोन लिए है .
ReplyDeleteram ram bhai
मुखपृष्ठ
मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
दी इनविजिबिल सायलेंट किलर
क्या प्रेम है मुझसे सनम बस एक सवाल तेरा !
ReplyDeleteसवाल को सवाल ही रहने दिया जाए तो ज्यादा मुनासिब
अच्छी रचना...................
आभार भाई राहुल
Deleteपोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब
ReplyDeleteबेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
आभार मदन भाई
Deleteअति सुन्दर बधाई
ReplyDeleteपंकज भाई आभार
Deleteअति सुन्दर रचना..
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी जज्बात..
:-)
रीना बहन धन्यवाद
Delete