याद करते हैं हम, तुम्हें तन्हाई में
दिल डूबा है गमों की गहराई में
हमें मत ढूँढना दुनिया की भीड़ में
हम मिलेंगे तुम्हें तुम्हारी हीं परछाई में
दिल डूबा है गमों की गहराई में
हमें मत ढूँढना दुनिया की भीड़ में
हम मिलेंगे तुम्हें तुम्हारी हीं परछाई में
क्योंकि खुशबू कब फूल से जुदा रहती है ?
चाँदनी कब चाँद से जुदा रहती है ?
रोशनी कब सूरज से जुदा रहती है ?
कब धडकनें दिल से जुदा रहती है ?
या तो ये हमेशा साथ होते हैं या नहीं होते हैं
वैसे हीं मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगी
कभी तुम्हारी परछाईं बन कर
कभी खुशबू बनकर
कभी चाँदनी बनकर
कभी धड़कन बनकर
तुम मुझे पा जाओगे
आईने में, हवाओं में
धूप में, छाँव में
लेकिन मुझे मत ढूँढना, लोगों की भीड़ में
क्योंकि मैं तुम्हें मिलूंगी, तुम्हारी हीं परछाई में
मैं जानती हूँ, आजकल तुम मुझे तलाश रहे हो
महफिलों में, लोगों के चेहरों में
मैं भी तुमसे मिलना चाहती हूँ
लेकिन इस दुनिया की भीड़ से दूर
दो दिलों की तनहाई में
- किरण मानसी
चाँदनी कब चाँद से जुदा रहती है ?
रोशनी कब सूरज से जुदा रहती है ?
कब धडकनें दिल से जुदा रहती है ?
या तो ये हमेशा साथ होते हैं या नहीं होते हैं
वैसे हीं मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगी
कभी तुम्हारी परछाईं बन कर
कभी खुशबू बनकर
कभी चाँदनी बनकर
कभी धड़कन बनकर
तुम मुझे पा जाओगे
आईने में, हवाओं में
धूप में, छाँव में
लेकिन मुझे मत ढूँढना, लोगों की भीड़ में
क्योंकि मैं तुम्हें मिलूंगी, तुम्हारी हीं परछाई में
मैं जानती हूँ, आजकल तुम मुझे तलाश रहे हो
महफिलों में, लोगों के चेहरों में
मैं भी तुमसे मिलना चाहती हूँ
लेकिन इस दुनिया की भीड़ से दूर
दो दिलों की तनहाई में
- किरण मानसी
प्रस्तुतिकरण :: सोनू अग्रवाल
तुम मुझे पा जाओगे
ReplyDeleteआईने में, हवाओं में
धूप में, छाँव में
........
दिल का साया हमसाया
मै तुम में ही मिलूंगा
तुम भी मिलना
दिल की तनहाई में.........
-
धन्यवाद राहुल
ReplyDeleteआपकी कोई नई रचना नहीं आई
27 august ko ek post likha tha.... alokit shabd....
Deletemail Link
DeleteYashodadigvijay4@gmail.com
यशोदा जी आपने मेरे ब्लॉग पर जो प्रश्न किया था, उस विषय में मेरे ब्लॉग पर 2 पोस्टें पहले से ही हैं:
ReplyDeleteपोस्ट चोरी रोकने के लिए ये लेख पढ़ें:
1. पोस्ट कॉपी (चोरी) करने वालों से बचने का उपाय
2. आज ही अपनाइए 'ब्लॉग पोस्ट सुरक्षा कवच'
इनमें से किसी एक या दोनों का इस्तेमाल कर सकती हैं
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteपिछली टिप्पणी में गलत सूचना के लिये खेद है ---
ReplyDeleteदिनांक 16 /12/2012 (रविवार)को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत सुंदर
ReplyDeleteआभार दीदी
Deleteआभार बहन
ReplyDeleteलेकिन मुझे मत ढूँढना, लोगों की भीड़ में
ReplyDeleteक्योंकि मैं तुम्हें मिलूंगी, तुम्हारी हीं परछाई में
मैं जानती हूँ, आजकल तुम मुझे तलाश रहे हो....
बहुत सुन्दर