Friday, September 28, 2012

हरदम मुझे बहला दिया.........सुरेश पसारी 'अधीर'

मै तेरा हू, मै तेरा हूँ कहकर, हरदम मुझे बहला दिया ।
जब दिल हुआ उदास तो, दो बोल प्यार के सुना दिया।।

किसको कहता , कब तक सहता,
कब तक घुटता मै, मन ही मन में ,

कह दी जब कडवी बातें, अश्को का दरिया बहा दिया।
मै तेरा हू, मै तेरा हूँ, कहकर हरदम मुझे बहला दिया।।

सिसक सिसक कर रोता था मन,
तिल तिल करके मै जलता था ,

ठहराकर गुनहगार मुझे, गैरों का जामा पहना दिया।
मै तेरा हू, मै तेरा हूँ, कहकर, हरदम मुझे बहला दिया।।

वो धड़कन थी मेरी, दिल था मेरा,
हरदम मेरे ख्यालों में रहता था ,

करके दूर मुझे अपने से, मुझे खुद की जगह दिखा दिया।
मै तेरा हू, मै तेरा हूँ, कहकर, हरदम मुझे बहला दिया।।

दिल कहता है, अब भी मुझसे,
भूल जा तू वो सब, कड़वी बातें,

अहसान किया तुझपे जो,प्यार का मसीहा बना दिया।
मै तेरा हू, मै तेरा हूँ, कहकर, हरदम मुझे बहला दिया।। 


---सुरेश पसारी 'अधीर'

6 comments:

  1. प्रेम पर एहसान नहीं किया जा सकता | और जहाँ शिकायत हो एहसान हो वहाँ प्रेम की एकतरफा खुद ही से प्रेम की अभिव्यक्ति होती है |

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    1. शुभ संध्या
      धन्यवाद संगीता जीजी

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  2. बहुत ही गहरे जज्बात रख दिए है इन पंक्तियों में प्रेम के सहारे...|

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  3. बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही भावनामई रचना.बहुत बधाई आपको

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