Saturday, September 22, 2012

चाँद दीवाना हो रहा.................. नीलू शर्मा


रूप तेरा देख ,चाँद दीवाना हो रहा
कजरारी रात में ,पूनम सा जगमगा गया

सुर्ख लाल लब तेरे ,कोई गज़ल कह रहे
झील में जैसे दो कमल खिल गया 


 मुखडा चाँद सा तेरा,देख आईना शरमा रहा
सोचता है आज किसी अप्सरा से रूबरू हो गया

यौवन तेरा देख , कवि कल्पना में खो रहा
लिख रहा था नज़्म, शब्द निशब्द हो गया

घूंघट हटा ना मुखड़े से, रूप कनक सा चमक रहा
बावला मन मेरा "प्रेम" में तेरे सम्मोहित हो गया 

--नीलू शर्मा
मेरी फेसबुक मित्र

12 comments:

  1. प्यार भरी लेखनी

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  2. लिख रहा था नज़्म, शब्द निशब्द हो गया
    सुन्दर रचना, पर फोटो ज्यादा सुन्दर

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  3. लिख रहा था नज़्म ,शब्द -निशब्द हो गया -बहुत खूब
    लिख रहा था नज़्म ,शब्द -निशब्द हो गया -बहुत खूब








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  4. sunder rachana hai ,yadi islaah aur protsaahan mile to ek achha kavi milne ki prabal sambhaavnaaye hai

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  5. यशोदा दी आपका भी जवाब नहीं कहाँ -कहाँ से ढूंढ़ कर लाती हैं, सुन्दर रचना

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  6. बहुत सुन्दर
    प्यारभरी रचना..
    :-)

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