Thursday, September 20, 2012

हमारा प्रेम.............ओम प्रभाकर

ये धागा
रहीम के प्रेम का नहीं कि
टूट गया तो
जुड़ेगा नही.और जोड़ा


तो गाँठ पड़ जाएगी

ये धागा
आज के हम-तुम और
हमारे-तुम्हारे प्रेम का है.
इस में घर-बाहर के
और भी लोग शामिल हैं.

बेशक पड़ जाए गाँठ
हम गाँठ पर अटकेंगे
लोकिन
अपने प्रेम का
अक्षितिज बँधी अलगनीं पर
अपने रंगीन स्वप्नों को
कपड़ों की तरह
फैलाते जाएँगे.

न कभी क्षितिज आएगा और
न कभी हमारा प्रेम स्थगित होगा


---ओम प्रभाकर

29 comments:

  1. न कभी क्षितिज आएगा और
    न कभी हमारा प्रेम स्थगित होगा
    .......................................................
    वाह..... प्रेम के नए आयाम....
    मुझे अनोखा मगर सांचा लगा....

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    1. आभार
      शुभ प्रभात राहुल

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  2. सार्थक अभिव्यक्ति प्रेम की सरल भाव सहज मन से लिखी रचना ,बधाई |

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    1. आभार संगीता बहन
      शुभ प्रभात

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  3. Replies
    1. आभार अंजू दीदी
      शुभ प्रभात

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  4. खूबसूरत बात खूबसूरत अंदाज़ में ।

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  5. ये धागा
    रहीम के प्रेम का नहीं कि
    टूट गया तो
    जुड़ेगा नही.और जोड़ा

    तो गाँठ पड़ जाएगी

    ये धागा
    आज के हम-तुम और "वो "

    सौ बार टूटेगा ,सौ बार जुड़ेगा .

    ये वो धागा है जो अपना बाहरी आवरण ,रूप विधान बदलता रहता है .टूटता है बारहा ,पर टूटन दिखती नहीं है .

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  6. मेरी धरोहर
    Thursday, September 20, 2012
    हमारा प्रेम.............ओम प्रभाकर

    ये धागा
    रहीम के प्रेम का नहीं कि
    टूट गया तो
    जुड़ेगा नही.और जोड़ा

    तो गाँठ पड़ जाएगी

    ये धागा
    आज के हम-तुम और

    हमारे तुम्हारे प्रेम का है

    ...............
    हमारे-तुम्हारे प्रेम का है. ये धागा
    रहीम के प्रेम का नहीं कि
    टूट गया तो
    जुड़ेगा नही.और जोड़ा

    तो गाँठ पड़ जाएगी

    ये धागा
    आज के हम-तुम और "वो "

    सौ बार टूटेगा ,सौ बार जुड़ेगा .

    ये वो धागा है जो अपना बाहरी आवरण ,रूप विधान बदलता रहता है .टूटता है बारहा ,पर टूटन दिखती नहीं है .

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  7. wah kabhi kabhi mann ye kahta jarooa hai.. bahut khoob

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  8. गांठ पर कम से कम अटकेगा तो जरूरु ॥प्रेम की नयी परिभाषा ... सुंदर

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    1. सटीक विवेचना
      दीदी प्रणाम

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  9. न कभी क्षितिज आएगा और
    न कभी हमारा प्रेम स्थगित होगा
    खुबसूरत अहसास लिए रचना....
    सुन्दर
    :-)

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  10. बेशक पड़ जाए गाँठ
    हम गाँठ पर अटकेंगे
    लोकिन
    अपने प्रेम का
    अक्षितिज बँधी अलगनीं पर
    अपने रंगीन स्वप्नों को
    कपड़ों की तरह
    फैलाते जाएँगे.
    ......
    ओम् प्रभाकर जी को एक सुंदर सोंच के लिये बधाई !

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  11. wah ! pyar ka alag andaz...sabse badi baat ismay hai...bahut positive khayal

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  12. वाह, बिल्कुल नया अंदाज़

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  13. क्या बात काही है | सुंदर |
    मेरी नई पोस्ट:-
    मेरा काव्य-पिटारा:पढ़ना था मुझे

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