वक्त से नजरें मिलाओ तो सही।
हाले दिल अपना बताओ तो सही।।
क्या मिलेगा तुमको डर कर जीने से।
खौफ को मन से भगाओ तो सही।।
दर्द की वो क्या देंगें तुमको दवा।
जख्म उनको तुम दिखाओ तो सही।।
बैठकर तुम रूबरू उनके कभी।
हो खफा क्यूं ये बताओ तो सही।।
ये जहां सारा मुहब्बत पर टिका।
प्यार दिल में तुम जगाओ तो सही।।
मर गयी है जीने की जो लालसा।
मुस्कुराहट फिर से लाओ तो सही।।
दिल की तुम आवाज को सुनकर कभी।
उनसे चलकर मिलने जाओ तो सही।।
बैठे हैं नजरें बिछाये कब से वो।
उनके लिये दिल बिछाओ तो सही।।
-प्रीती श्री वास्तव
वाह
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 21 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह!लाजवाब !
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब
ReplyDeleteवाह!!!