दोस्ती की जब भी कभी बात हुआ करेगी /-
हमारा भी जिक्र दुनिया कहा सुना करेगी /-
मिलते रहे कदम कदम एक दूजे से हौसले
घोंसलों से निकले तो बुलंदियाँ छुआ करेंगी /-
कयामत से कम नहीं अब जुदाई का ख्याल
हकीकत ये लम्हा लम्हा मुझको डसा करेगी /-
ग्यारह रहे हमेशा हम एक और एक होकर,
क्या अब भी दोस्ती को ऐसी दुआ रहेगी /
तब्दिले जश्न करते गए मुश्किलों को हम
रस्मे जश्न कैसे अब यंहा मना करेगी /
गहरे हो जाएँ रिश्ते दिल के जब अभिन्न
दूरियाँ क्या खाक फिर उनको जुदा करेंगी
-सुरेन्द्र 'अभिन्न'
वाह बहुत सुन्दर
ReplyDelete👌👌👌👏👏👏👏बेहतरीन उन्वान
ReplyDeleteBahut, bahut achchha laga.
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