जब छोटी थी तो सोचती थी
पापा तुम जादूगर हो
हर समस्या का हल है
तुम्हारी बन्द मुट्ठी में
जब बड़ी हुई तो जाना
उलझे हो हर वक्त तुम
मेरी समस्या सुलझाने में
जब छोटी थी तो सोचती थी
पापा ने दुनिया देखी है
जब बड़ी हुई तो जाना
मैं पापा की दुनिया हूँ
जब छोटी थी तो सोचती थी
पापा की जेब में तारे हैं
जब बड़ी हुई तो जाना
मैं पापा की आँखों का तारा हूँ
जब छोटी थी तो सोचती थी
तुम सबसे अच्छे पापा हो
जब बड़ी हुई तो जाना
पापा तुम सबसे अच्छे हो
अब मैं बड़ी हो गई पापा
जान गई हूँ जीवन को
उतना आसान नहीं है यह
जैसा बचपन में लगता था
...पर अब भी
हर मुश्किल का हल
बन्द है तुम्हारी मुट्ठी में
पापा अब भी तुम जादूगर हो
---अपूर्वा रघुवंशी
मधुमिता....12-6-2013
16 जून फादर्स डे पर विशेष
पापा तुम जादूगर हो
हर समस्या का हल है
तुम्हारी बन्द मुट्ठी में
जब बड़ी हुई तो जाना
उलझे हो हर वक्त तुम
मेरी समस्या सुलझाने में
जब छोटी थी तो सोचती थी
पापा ने दुनिया देखी है
जब बड़ी हुई तो जाना
मैं पापा की दुनिया हूँ
जब छोटी थी तो सोचती थी
पापा की जेब में तारे हैं
जब बड़ी हुई तो जाना
मैं पापा की आँखों का तारा हूँ
जब छोटी थी तो सोचती थी
तुम सबसे अच्छे पापा हो
जब बड़ी हुई तो जाना
पापा तुम सबसे अच्छे हो
अब मैं बड़ी हो गई पापा
जान गई हूँ जीवन को
उतना आसान नहीं है यह
जैसा बचपन में लगता था
...पर अब भी
हर मुश्किल का हल
बन्द है तुम्हारी मुट्ठी में
पापा अब भी तुम जादूगर हो
---अपूर्वा रघुवंशी
मधुमिता....12-6-2013
16 जून फादर्स डे पर विशेष
पापा के लिए तो सच में उनके बच्चे ही उनकी दुनिया है
ReplyDeleteबेहतरीन
साभार !
दिल को छूती बहुत प्यारी रचना...
ReplyDeletebhot achchi rahna hai waaaaaaaaah bhot khub
ReplyDeleteअच्छी रचना अपूर्वा
ReplyDeleteबहुत सुंदर