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बाखुशी दी चाबी आप को !
दिखाओ न आँखें बाप को !!
बुझी राख में भी है आग !
धुआं न समझो भाप को !!
हार जीत तो होती रहती है !
बीच में छोड़ा क्यों जाप को !!
करें भरोसा वरदान बरसेंगें !
मिटाओ कुर्सी के अभिशाप को !!
देते हैं शुभकामनाएं आप को !
लगा दो झाड़ू सारे पाप को !!
सभी रचनाये पूर्व प्रकाशित है फेसबुक के समूह "तस्वीर क्या बोले" में https://www.facebook.com/groups/tasvirkyabole/