Monday, January 25, 2021

मैं अच्छी नहीं हूं ...पूजा गुप्ता


मैं अच्छी नहीं हूं
मुझे मेहँदी लगानी नहीं आती।
ना ही रंगोली बनानी आती।
मैं बंद बोतल के ढक्कन जैसी।
मुझे दही जमानी नहीं आती।
ना कभी व्रत की पति के लिए।
ना कभी बेटा के लिए।
मैं सब जैसी औरत नहीं।
मुझे गढ़ी कहानी नहीं आती।
मुझे ढोल बजाना नहीं आता।
ना नाचना गाना आता।
मैं अल्हड़ सी मस्तानी हूँ।
कोई हुनर जमाना नहीं आता।
लोगो के हँसी का पात्र हूँ।
मुझे अंदाज में रहना नहीं आता।
मैं बंद बोतल के ढक्कन जैसी।
मुझे दही जमाना नहीं आता।
सब कहते हैं भजन करो।
पर मुझे पुण्य कमाना नहीं आता।
मैं अल्हड़ सी मस्तानी हूँ।
कोई हुनर जमाना नहीं आता।
कुछ खूबी हो तो मैं लिखूँ।
मुझे अच्छा बन जाना नहीं आता।
घर की लक्ष्मी हूँ मैं।
पर मुझे नारायण को मनाना नहीं आता।
साधारण हूँ बेबाक भी हूँ मैं।
मुझे किसी को जलाना नहीं आता।
अंतर्मन की अंतर्वेदना हूँ मैं।
मुझे मजाक बनाना नहीं आता।
मैं बंद बोतल के ढक्कन जैसी।
मुझे दही जमाना नहीं आता।
मैं अल्हड़ सी मस्तानी हूँ।
कोई हुनर जमाना नहीं आता।
[स्वरचित]
-पूजा गुप्ता  

मिर्ज़ापुर (उत्तर प्रदेश) 

Friday, January 22, 2021

मरने की चाहत होती जाती है ...अँजू डोकानिया

मुहब्बत क्या हुई  जैसे  इबादत होती जाती है|
कि सजदे में झुकने की आदत होती जाती है||

चलाओ तीर कितने भी सितम चाहे करो जितने|
जो उल्फत हो गई इक बार तो बस  होती जाती है ||

वृहद सरिता  प्रेम मेरा लहर सा इश्क़ है तेरा|
जो उतरोगे तले इसके कयामत होती जाती है||

मैं मुजरिम हूँ करो पेशी मेरी इश्क़ ए अयानत में|
किया है जुर्म उल्फत का ये तोहमत होती जाती है||

मुहब्बत नाम है "अँजू" शिद्दत का, वफाओं का|
चले जो इस डगर मरने की चाहत होती जाती है||

-अँजू डोकानिया 

Thursday, January 21, 2021

लड़की और चांद ...ज्याति खरे


चाँद
चुपके से 
खिड़की के रास्ते 
कमरे में
रोज आता है 
लड़की 
अपने करीब आता देख
मुस्कुराती है
देखती है देर तक 
छू लेती है
मन ही मन उसे
चाँद 
लड़की से कुछ कहने का
साहस नहीं जुटा पाता
लड़की 
संकोच की जमीन पर
चुपचाप बैठी रहती है
चाँद और लड़की
युगों युगों से
ऐसे ही मिलते हैं
खिड़की के रास्ते
प्रेम
ऐसा ही खूबसूरत होता है
-"ज्योति खरे " 



Tuesday, January 19, 2021

रंगों का मौसम ...मंजू मिश्रा

रंगों का मौसम 

पतंगों का मौसम 

तिल-गुड़ की सौंधी मिठास का मौसम 

लो शुरू हुआ नया साल  ।१।


मौसम का मिज़ाज बदला

हवा का अन्दाज़ 

और बदली सूर्य की चाल 

लो शुरू हुआ नया साल ।२।


उड़ती पतंगें यूँ लगें 

मानो आसमाँ पे बिछ गयी 

रंगों की तिरपाल 

लो शुरू हुआ नया साल ।३।

-मंजू मिश्रा

Monday, January 18, 2021

रज़ा ...डॉ. नवीनमणि त्रिपाठी


जिनको तेरी रज़ा नहीं मिलती ।
आशिक़ी को हवा नहीं मिलती ।।
इश्क़ गर बेनक़ाब होता तो।
हिज्र की ये सज़ा नहीं मिलती ।।
ज़ीस्त है जश्न की तरह यारो ।
ज़िन्दगी बारहा नहीं मिलती ।।
कितनी बदली है आज की दुनिया ।
आंखों में अब हया नहीं मिलती ।।
नेकियाँ डाल दे तू दरिया में ।
बेवफ़ा से वफ़ा नहीं मिलती ।।
कुछ तो महफ़िल का रंग बदला है ।
घुँघरुओं की सदा नहीं मिलती ।।
मैं ख़तावार तुझको कह देता ।
क्या करूँ जब ख़ता नहीं मिलती ।।
छोड़ हर काम बस इबादत हो ।
यूँ ख़ुदा की दया नहीं मिलती ।।
वक्ते रुख़सत जहाँ हो तय साहब ।
माँगने पर क़ज़ा नहीं मिलती ।।
कब से क़तिल हुआ ज़माना ये ।
जुल्म की इब्तिदा नहीं मिलती ।।
वो तो नाज़ुक मिज़ाज थी शायद ।
आजकल जो खफ़ा नहीं मिलती ।।
- डॉ.नवीनमणि त्रिपाठी

2122 1212 22 

Sunday, January 17, 2021

स्त्री विमर्श ...निधि सक्सेना

एक युवा पुरुष को
अलग अलग उम्र की स्त्रियां
अलग अलग स्वरूप में देखेंगी..
नन्ही बच्ची उसे पिता या भाई सा जानेगी..
युवा होगी तो झिझकेगी सकुचायेगी
उसमें सखा या मित्र खोजेगी..
प्रौढ़ा होगी तो उसे अनायास ही वो अपने पुत्र सा दिखाई देगा..
और वृद्धा हुई तो उसे देखते ही उसका पोपला मुख कह उठेगा
बिल्कुल मेरे पोते सा है ..
परंतु एक युवा स्त्री
अलग अलग उम्र के पुरुषों को
केवल एक स्वरूप में दिखाई देगी
स्त्री स्वरूप में
विशुद्ध स्त्री स्वरूप...
कि स्त्रियां उम्र के हिसाब से परिपक्व होना जानती हैं..
- निधि सक्सेना

Saturday, January 16, 2021

बहुत कमा लिया .....नीलम गुप्ता

बहुत कमा लिया
सब कहते है
कितना लिखती हो?
इतना क्यों लिखती हो?
लिख कर क्या कमा लिया?
कौन सा खेत उखाड़ लिया?
शायद सच ही कहते होंगे
ये उनके तजुर्बे होंगे
हर चीज में नफा
नुकसान देखते है
हर किसी को
तराजू में तोलते है
तो बता दूं हमनें भी बहुत
दौलत रख ली
जेबें दुआओं से भर लीं
कितनों के चेहरे पर मुस्कान ला दी
कितनो की जिंदगी दुहरा दीं
कितनों के दिल में बस गई
उनको मेरी आदत सी लग गई
कविता ही मेरी, जिंदगी हो गई
अब ये असल में मायने हो गई
जिस दिन दुनिया से जाऊंगी
कुछ दुआएं भी ले जाऊंगी
लोग कमा लिए इतने
कि कुछ तो मेरे जाने
से गमगीन रहेंगे
मेरी कविता को ही
मेरे लिए गुनगुना देंगे
स्वरचित

-नीलम गुप्ता