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Friday, August 14, 2020
Sunday, September 8, 2019
हेकड़ी ......गुलज़ार

एक सिकंदर था पहले, मै आज सिकंदर हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ, मै मस्त कलंदर हूँ
ताजमहल पे बैठ के मैंने ठुमरी-वुमरी गाई
शाहजहाँ भी जाग गए, आ बैठे ओढ़ रजाई
मै जितना ऊपर दीखता हूँ उतना ही अन्दर हूँ
एक सिकंदर था पहले, मै आज सिकंदर हूँ
कार्ल मार्क्स से बचपन में खेला है गिल्ली डंडा
एफिल टावर पे चढ़ के छीना है चील से अंडा
एवरेस्ट की चोटी भी हूँ मै एक समन्दर हूँ
एक सिकंदर था पहले, मै आज सिकंदर हूँ
लन्दन जा के जॉर्ज किंग को मैंने गाना सुनाया
क्या नाम था रब-रक्खे उस को तबला सिखाया
हरफन-मौला कहते है, मै एक धुरंधर हूँ
एक सिकंदर था पहले, मै आज सिकंदर हूँ
एक सिकंदर था पहले, मै आज सिकंदर हूँ
- गुलज़ार
Sunday, August 18, 2019
ख़याल ही सबूत है...गुलज़ार
दुआ में जब,
जम्हाई ले रहा था मैं--
दुआ के इस अमल से थक गया हूँ मैं !
मैं जब से देख सुन रहा हूँ,
तब से याद है मुझे,
खुदा जला बुझा रहा है रात दिन,
खुदा के हाथ में है सब बुरा भला--
दुआ करो !
अजीब सा अमल है ये
ये एक फ़र्जी गुफ़्तगू,
और एकतरफ़ा--एक ऐसे शख्स से,
ख़याल जिसकी शक्ल है
ख़याल ही सबूत है.
Monday, August 5, 2019
ख़याल ही सबूत है...गुलज़ार
दुआ में जब,
जम्हाई ले रहा था मैं--
दुआ के इस अमल से थक गया हूँ मैं !
मैं जब से देख सुन रहा हूँ,
तब से याद है मुझे,
खुदा जला बुझा रहा है रात दिन,
खुदा के हाथ में है सब बुरा भला--
दुआ करो !
अजीब सा अमल है ये
ये एक फ़र्जी गुफ़्तगू,
और एकतरफ़ा--एक ऐसे शख्स से,
ख़याल जिसकी शक्ल है
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