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एक सिकंदर था पहले, मै आज सिकंदर हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ, मै मस्त कलंदर हूँ
ताजमहल पे बैठ के मैंने ठुमरी-वुमरी गाई
शाहजहाँ भी जाग गए, आ बैठे ओढ़ रजाई
मै जितना ऊपर दीखता हूँ उतना ही अन्दर हूँ
एक सिकंदर था पहले, मै आज सिकंदर हूँ
कार्ल मार्क्स से बचपन में खेला है गिल्ली डंडा
एफिल टावर पे चढ़ के छीना है चील से अंडा
एवरेस्ट की चोटी भी हूँ मै एक समन्दर हूँ
एक सिकंदर था पहले, मै आज सिकंदर हूँ
लन्दन जा के जॉर्ज किंग को मैंने गाना सुनाया
क्या नाम था रब-रक्खे उस को तबला सिखाया
हरफन-मौला कहते है, मै एक धुरंधर हूँ
एक सिकंदर था पहले, मै आज सिकंदर हूँ
एक सिकंदर था पहले, मै आज सिकंदर हूँ
- गुलज़ार
वाह
ReplyDeleteबहुत बढ़िया,
ReplyDeleteबड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....
बहुत सुन्दर पोस्ट
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