Friday, November 30, 2018

आवाज़.....पाराशर गौड़

सुनो..
मेरी आवाज़ को गौर से सुनो
अगर पौधा मर गया तो उसके साथ
बीज भी मर जायेगा
धरती बंजर हो जायेगी
किसान भी मर जायेगा-

अगर वो मरा तो...
उसके साथ समुचा देश भी मर जायेगा
फिर...
ना तो कोई सुननेवाला होगा
ना सुनाने वाला।
-पाराशर गौड़

6 comments:

  1. बेहतरीन रचना है

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  2. समसामयिक चिंतन.

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (01-12-2018) को "नदी सरोवर झील" (चर्चा अंक-3172) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. बीज, धरती, किसान क्या, हमारे लिए देश भी बेमानी है,
    हमको तो भाता, स्विस बैंक का खाता और वहीं का पानी है.

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