तुम्हारी जिव्हा
ठांव-कुठांव टपकाती है लार
इसे काबू में रखना तुम्हारे वश में कहां
तुमने चख लिया हर रंग का लहू
परन्तु एक बार आओ
मेरी राम रसोई में
अग्नि केवल तुम्हारे जठर में
नहीं, मेरे चूल्हे में भी है
ये पृथ्वी स्वयं हांडी बनकर
खदबदा रही है
केवल द्रौपदियों को ही
मिलती है यह हांडी
पांच पतियों के
परम सखा से
- अजन्ता देव
..... नायिका से...