गांधारी के श्राप के कारण अफगानिस्तान का हुआ है ये हाल,
इतिहास दे रहा है इस बात की गवाही
अफगानिस्तान पर अब तालिबान का कब्जा हो चुका है. अफगानिस्तान में चारो तरफ खून खराबा और हाहाकार मचा हुआ है. तालिबान अब अपना असली चेहरा दिखा रहा है. उसकी क्रूरता बढ़ती जा रही है. दूसरे देश और खुद अफगानिस्तान के लोग अब वहां एक पल भी रहना नहीं चाहते हैं. अफगानिस्तान में तालिबान का ये आतंक देख गांधारी का वो श्राप याद आ रहा है, जो उन्होंने अपने भाई शकुनी को दिया था. इस समय गांधारी के उस श्राप की फिर से चर्चा बढ़ गई है. तो चलिए हम आपको बताते हैं क्या है गांधारी से भारत का कनेक्शन और क्या था गांधारी का श्राप.
महाभारत काल के श्राप की वजह से जल रहा है अफगानिस्तान
महाभारत की प्रभावशाली महिला पात्रों जब बात आती है तो उसमें गांधारी का नाम भी लिया जाता है. गांधारी हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र की पत्नी और दुर्योधन की मां थी. शकुनि गांधारी का भाई था. गांधारी का संबंध गांधार से था जिसे आज कंधार कहा जाता है. जो अफगानिस्तान में स्थित है. गांधारी के पिता का नाम सुबल था. गांधार राज्य से संबंध होने के कारण ही गांधारी कहा जाता था. राजा धृतराष्ट्र के अंधे होने के कारण विवाहोपरांत ही गांधारी ने भी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. गांधारी पतिव्रता स्त्री थीं.
महाभारत के युद्ध में कौरवों की पराजय हुई थी. महाभारत के युद्ध में गांधारी के सभी 100 पुत्रों की मृत्यु हो गई थीं. महाभारत का युद्ध जब समाप्त हुआ है और महल में जब गांधारी ने अपने सभी पुत्रों के शवों को देखा तो वह क्रोध में आ गईं. गांधारी ने शकुनि को श्राप दिया था कि जिस तरह से तुमने मेरे 100 पुत्रों को मरवा दिया उसी तरह से तुम्हारे देश में कभी शांति नहीं होगी.
गांधारी ने दिया था शकुनी और गांधार को श्राप
आपकों बता दें कि कहा जाता है कि भीष्म ने गांधारी से धृतराष्ट्र की शादी के लिए सुबल के परिवार को नष्ट कर दिया था, जब पिता की मृत्यु के बाद शकुनी राजा बना तो उसने भीष्म के परिवार से बदला लेने के लिए चाल चली और कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत का युद्ध कराया, जिसमे भीष्म सहित उनका पूरा परिवार नष्ट हो गया और सिर्फ पांडव ही जीवित बचे, ऐसे में गांधारी ने शकुनी को श्राप दिया कि “मेरे 100 पुत्रो को मरवाने वाले गांधार नरेश तुम्हारे राज्य में कभी भी शांति नहीं रहेगी.”
दुआ हो या बदुआ कभी खाली नहीं जाती। आज भी जो आत्माएं इस त्रासदी से गुजर रही है उनकी बद्दुआओं का असर भी तो कभी ना कभी ताईवान को भी भुगतना ही होगा। महाभारत तो हर युग में प्रसांगिक है ही। बहुत-बहुत धन्यवाद सर, इस भूले-बिसरे प्रसंग को याद दिलाने के लिए। सादर नमन आपको
ReplyDeleteअपने दुख से दुखी मन बड़ी आसानी से बद्दुआ दे देता है पर जब तक वो बद्दुआ फलित होती है तब तक तो हालात बदल जाते हैं आज गांधारी भी अपनी ही दी हुई बद्दुआओं पर पछताती होंगी...
ReplyDeleteइस कथा को कई बार सुना, पर आज सचमुच ये श्राप सच होता दिखाई दे रहा है, कहीं न कहीं कुछ तो सत्य लगता है, सार्थक प्रसंग।
ReplyDeleteयशोदा दी, श्राप देने वाला क्रोधवश श्राप दे देता है लेकिन उसका परिणाम क्या होगा ये उसको नही पता होता है। इसलिए ही तो कहते है कि इंसान को अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए।
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