बेसबब आवारा
आख़िर कब तक फिरोगे
हुई शाम जो
घर को ही लौटोगे !
जागी रातों की
तन्हाइयों का हिसाब
अब किसे देना
है किससे लेना ?
दिल की रखो
अपने ही दिल में
कह गये तो देखना
फिर एक बार फँसोगे !
इतनी सी बात पे जो गये
उसे आवाज क्यों देना
कर लो किसी से भी मोहब्बत
उसमें मुझको ही ढूँढा करोगे...।
-रश्मि शर्मा
वाह सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-08-2019) को "खोया हुआ बसन्त" (चर्चा अंक- 3426) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
very nice...
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