Sunday, February 11, 2018

जाने क्यूँ !!!...................सदा


शब्दों की चहलकदमी से
आहटें आती रहीं
सन्नाटे को चीरता
एक शोर
कह जाता कितना कुछ
मौन ही !
बिल्कुल वैसे ही
मेरी खामोशियाँ आज भी
तुमसे बाते करती हैं
पर ज़बां ने खा रखा है
चुप्पी का नमक
कुछ भी कहने से
इंकार है इसे
जाने क्यूँ !!! 

-सीमा सदा सिंघल
......फेसबुक से

2 comments:

  1. वाह !!! बहुत खूबसूरत शब्द और रचना

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  2. आभार आपका 😊💐

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