कांपते लब , आँख नम , कहा मुस्कुराकर 'अलविदा' ........सचिन अग्रवाल 'तन्हा'
तजरुबा जो ज़िन्दगी का याद था वो लिख दिया
ज़ेहन ओ दिल में कुछ जमा 'अवसाद' था वो लिख दिया ..........
कांपते लब , आँख नम , कहा मुस्कुराकर 'अलविदा'
एक लम्हा जो बहुत बर्बाद था वो लिख दिया..........
कागजों पर कैसे कोई ज़िन्दगी लिखता भला
हाँ मगर जो कुछ तुम्हारे बाद था वो लिख दिया ..............
कम नज़र आती है अब पत्थर उठाने की उम्मीद
सीने में थोडा बहुत 'फौलाद' था , वो लिख दिया ......................
----------सचिन अग्रवाल 'तन्हा'
बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें.
Ji ab kya kahun main is rachna ke baare men..bas ji.. bohot kuch hai yahan bikhra hua...main samet nahi paa raha...aankhon se kuch chalak aaya...God bless You Yashoda Ji.
ReplyDelete