Thursday, September 20, 2018

तृष्णा से मर जाएगा....मधु गुप्ता

बिन पानी के जीवन तेरा 
तृष्णा से मर जाएगा 
बोलो मानव फिर तुझको 
ईश्वर कौन बचेगा ?
शुष्क धरा और सूखा अंबर 
बूंद न टपकाइएगा 
जल जल के जीवन तेरा 
त्राहि त्राहि मचाएगा 
गोधूलि की भोर बेला 
सूखा सूरज रह जाएगा 
किनारों पर लिखने कविता 
तट कहाँ से लाएगा 
दूषित गंगा जल से कैसे 
तू भगवान नहलाएगा 
जो तूने सुंदर धरती देखी
क्या बच्चों को दिखलाएगा ?
बोलो मानव उनकी प्यास 
कैसे तू बुझाएगा ?
जब पूछेंगे नदियां क्या है 
उनको क्या बतलाएगा ?
जो तुम आज बचालो इसको 
कल सुंदर हो जाएगा 
कल कल का संगीत मधुर 
कानो में घुल जायगा
जीवन देता हर पौधा
धरती पर लहराएगा 
धरती का हर एक कोना 
फिर सुंदर हो जाएगा....
-मधु गुप्ता

7 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (21-09-2018) को "गाओ भजन अनूप" (चर्चा अंक-3101) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    ReplyDelete
  2. बिन पानी के जीवन तेरा
    तृष्णा से मर जाएगा
    बोलो मानव फिर तुझको
    ईश्वर कौन बचेगा

    बहुत खूब।ये तृष्णा ही हर परेशान की वजह हैं

    ReplyDelete
  3. बहुत ही खूबसूरत रचना

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  6. बहुत ही सुन्दर रचना 👌

    ReplyDelete