Saturday, September 1, 2018

तेरा चाव लागा जैसे कोई घाव लागा……पूजा प्रियंवदा

मुस्कान के थोड़ा पीछे देखो
जहाँ न बोला जाने वाला लफ्ज़
उसने दांतों से काट कर
छुपाया था

देखना काजल की पतली रेख
काँपते हाथों से भी
बिलकुल सीढ़ी खींची थी
एक भी आँसू जिसके
पार न आ पाए

आधी मिटी मेहँदी
लाल-चमकीली अब फीकी
नाखून पोलिश
पिछले त्यौहार की थकान
किसी से नहीं कहती

पति के पुराने फ़ोन से
वो लेती है खुद के सेल्फी
देखने को कि
कैसी दिखती है
उसकी गुमशुदी !
-पूजा प्रियंवदा
मूल रचना




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