मुस्कान के थोड़ा पीछे देखो
जहाँ न बोला जाने वाला लफ्ज़
उसने दांतों से काट कर
छुपाया था
देखना काजल की पतली रेख
काँपते हाथों से भी
बिलकुल सीढ़ी खींची थी
एक भी आँसू जिसके
पार न आ पाए
आधी मिटी मेहँदी
लाल-चमकीली अब फीकी
नाखून पोलिश
पिछले त्यौहार की थकान
किसी से नहीं कहती
पति के पुराने फ़ोन से
वो लेती है खुद के सेल्फी
देखने को कि
कैसी दिखती है
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteशानदार रचना
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