Friday, September 7, 2018

तुम बदल गए.......आरती चित्तौडा

तुम बदल गए।
थामकर हाथ तुम्हारा,
चल पड़ी थी सपनों में रंग भर के
उम्मीद के पंख लगाकर,
सखा भाव से...
तुम बदल गए।

नहीं बात करते मेरे सपनों की,
महत्वाकांक्षाओं की,
ना ही किताबों की..
अब बात होती है,
मात्र व्हाट्सएप के मैसेज,
और फेसबुक के वीडियो की..
तुम बदल गए।

चेहरा देखकर नहीं जान पाते हो,
मन की बात,
भूल से गए हो,
रूठने, मनाने की बात...
तुम बदल गए।
कुछ टूट रहा है,
बहुत कुछ छूट रहा है...
रिश्तों में अनकही सी दूरी है,
डोर संवादों की,
कहीं तो अधूरी है..
तुम बदल गए...
तुम बदल गए...।
-आरती चित्तौड़ा

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (08-09-2018) को "मँहगाई पर कोई नहीं लगाम" (चर्चा अंक-3088) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेई जी को नमन और श्रद्धांजलि।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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