तारा टूटा तो
आसमां से दूर हो
अनाथ हुआ ।
-*-
अँधेरी रात
पीली चाँदनी बनी
रोशनदान ।
-*-
ऊँची पहाड़ी
बर्फ जड़ी -पिघली
नदिया बनी ।
-*-
धरा महकी
पुष्प अगरबत्ती
जब जलाई ।
-*-
छोड़ तरु को
पतझड़ी पात भी
संत से लगे ।
- डॉ. सरस्वती माथुर
5 अगस्त को आपने अपना जन्म दिन मनाया
सबने बधाइयां प्रेषित की...क्या पता था कि
सबने बधाइयां प्रेषित की...क्या पता था कि
ये उनका अंतिम जन्म दिन है
गत् शनिवार को वे देवलोक गमन कर गई
परमपिता से विनती है
उन्हें अपनी चरणों में स्थान दें
हम सभी की ओर से भाव-भीनी श्रद्धाञ्जली
गत् शनिवार को वे देवलोक गमन कर गई
परमपिता से विनती है
उन्हें अपनी चरणों में स्थान दें
हम सभी की ओर से भाव-भीनी श्रद्धाञ्जली
सादर नमन
ReplyDeleteसादर नमन 🙏
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (05-09-2018) को "शिक्षक दिवस, ज्ञान की अमावस" (चर्चा अंक-3085) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
विनम्र श्रद्धांजलि।
सादर...!
राधा तिवारी
सुंदर रचना....विनम्र श्रद्धांजलि।सादर नमन
ReplyDeleteशत-शत नमन आदरणीया सरस्वती दीदी को
ReplyDeleteमुझे हाइकु में निपुणता प्राप्त हो इसके लिए , फेसबुक पर बने कई समूह में जोड़ी और मार्गदर्शन सदा करती रहीं
विनम्र श्रद्धांजलि उन्हें
विनम्र श्रद्धांजलि ! डॉक्टर सरस्वती माथुर की रचनाएँ तो धूप-अगरबत्ती की भांति अपनी महक छोड़ती ही रहेंगी.
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