है ऐसा कोई जो अपने आप सुर बन जाये बनाना ना पड़े आपके लबों का. है ऐसा कोई जो अपने आप गजल में बंध जाए;बांधना ना पड़े.. अगर है तो फिर समय से तुलना नहीं करनी पड़ेगी. खुबसुरत अभिव्यक्ति. आत्मसात
नमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद" ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में गुरुवार 20 सितम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1161 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा। चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।
है ऐसा कोई
ReplyDeleteजो अपने आप सुर बन जाये बनाना ना पड़े
आपके लबों का.
है ऐसा कोई जो अपने आप गजल में बंध जाए;बांधना ना पड़े..
अगर है तो फिर समय से तुलना नहीं करनी पड़ेगी.
खुबसुरत अभिव्यक्ति.
आत्मसात
धन्यवाद रोहितास जी !
Deleteखूबसूरत रचना जी
ReplyDeleteधन्यवाद !
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 20 सितम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1161 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
लाजवाब भावाभिव्यक्ति...
ReplyDeleteधन्यवाद सुधा जी !
Deleteसुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद !
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20.9.18. को चर्चा मंच पर चर्चा - 3100 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
धन्यवाद !
Deleteबेहतरीन अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteधन्यवाद सतीश जी !
Deleteबहुत सुंदर रचना 👌
ReplyDeleteधन्यवाद !
Deleteसुंदर रचना 👌
ReplyDeleteधन्यवाद !
Deleteधन्यवाद कविता जी !
ReplyDeleteधन्यवाद यशोदा ! मेरी पोस्ट को यहाँ प्रस्तुत करके अापने नए पाठकों से परिचय करवाया । बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteआदरणीय दीदी
Deleteसादर नमन
आभार
आपके पदरज से मेरी धरोहर पवित्र हुई
सादर
वाह मंजू जी सुन्दर उद्गार बधाई कैसी हैं
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