Thursday, September 13, 2018

क्षितिज....गोपाल कृष्ण शुक्ल

दूर, बहुत दूर पर कहीं
हमने अक्सर देखा।

अम्बर के
नीलाभ पटल पर
मटमैली धरती
अपना रंग घोलती।

ये दृष्य देख कर
मेरा मन हुलस उठा
मष्तिष्क में
प्रश्न कौंधा
कैसे पावन-बन्धन में
बाँध रही है
धरती और अम्बर को
यह क्षितिज रेखा।

दूर, बहुत दूर पर कहीं
हमने अक्सर देखा।।

-गोपाल कृष्ण शुक्ल


2 comments:

  1. बहुत सुंदर और सहज सी अभिव्यक्ति।

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  2. बहुत सुन्दर 👌👌👌

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