नींद तुम ये ख़ता नहीं करना
हमें उनसे जुदा नहीं करना
ख़्वाब में भी यक़ीनन वो आये
मिलकर उनसे ये गुफ्तगू करना
वास्ता देना मेरी चाहत का
मेरे खामोश दिल की धड़कन का
मेरे इन्तज़ार के हरेक पल का
हिसाब उनसे रूबरू करना
खामख्वाह बात ना बहुत बढ़ जाये
ख्वाब बदख्वाब में ना बदल जाये
ये गरज मेरी है उनकी नहीं
गोया इसका ख्याल भी करना
चंद अल्फाज मेरे जुस्तजू के
जज्बेहालात मेरे आरजू के
उनसे एकपल जुदाई गवारा नहीं
जिक्रे ख़ास ये ज़रूर करना !!!
-कंचनप्रिया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना। लाजवाब भाव।
ReplyDeleteनींद तुम ये ख़ता नहीं करना
ReplyDeleteहमें उनसे जुदा नहीं करना
वाह बहुत सुन्दर
शुभकामनाएं !!
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