टाट के परदे के पीछे से
एक बारह तेरह साला चेहरा
झांका
वह चेहरा
बहार के पहले
फूल की तरह ताजा था
और आँखे
पहली मोहब्बत की तरह शफ्फाक
लेकिन उसके हाथ में
तरकारी काटते रहने की लकीरे थी
और उन लकीरों में
बर्तन मांजने की
राख जमी थी
उसके हाथ
उसके चेहरे से
बीस साल बड़े थे
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjmAObokv1xa5ys5AInOUIRLgNPHHGfgO1aMXZ6Kg5Cy4GNGYV6UFI7ccUx2FxByw3MSFS-g8KugX1erJiw1-9-vikrA7A99K9MxbEIxaOmwKkHFcDQcG6valbr3y54GgZVc9aTacSTPTg/s0/%25E0%25A4%25AA%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25B5%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25A8+%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B0.jpg)
- परवीन शाकिर
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो सभी को सपरिवार। सुन्दर।
ReplyDeleteउसके हाथ उसके चेहरे से बीस साल बड़ा है। वाह क्या बात है? आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। सादर।
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