Thursday, December 31, 2020

टाट का परदा ...परवीन शाकिर

टाट के परदे के पीछे से 
एक बारह तेरह साला चेहरा 
झांका 
वह चेहरा 
बहार के पहले 
फूल की तरह ताजा था 
और आँखे 
पहली मोहब्बत की तरह शफ्फाक 
लेकिन उसके हाथ में 
तरकारी काटते रहने की लकीरे थी 
और उन लकीरों में 
बर्तन मांजने की 
राख जमी थी 
उसके हाथ 
उसके चेहरे से 
बीस साल बड़े थे

 - परवीन शाकिर

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. नव वर्ष मंगलमय हो सभी को सपरिवार। सुन्दर।

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  3. उसके हाथ उसके चेहरे से बीस साल बड़ा है। वाह क्या बात है? आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। सादर।

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  4. सच कहूँ तो इसमें सबसे खास बात वही है, एक मासूम चेहरा और बूढ़े हाथों का टकराव। चेहरे पर पहली मोहब्बत जैसी चमक है, पर हाथों पर ज़िम्मेदारियों की राख जमी है। ये इमेज इतनी सच्ची है कि आँखों के सामने तस्वीर खिंच जाती है। लगता है जैसे बचपन ने अभी दस्तक दी भी नहीं और ज़िंदगी ने पहले ही कंधों पर बोझ डाल दिया।

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